यद्यपि दार्शनिक और ज्ञानमीमांसीय यथार्थवाद तथा कुछ अंशो में साहित्यिक यथार्थवाद की परियोजना / लक्ष्य के बीच समानता का स्पष्ट निर्धारण अभी भी मुश्किल है तो ऐसा भी नहीं है कि सैद्धांतिक उत्तर-आधुनिकतावाद (जिसमें वह भी शामिल है जिसे हम उत्तर सरंचनावाद कहते हैं) और साहित्यिक उत्तर-आधुनिकतावाद के बीच भी कोई जरुरी संबंध हो.